Monday, December 17, 2018

ज़िम में तीन चूत और एक लंड-2

मेरी पोर्न कहानी के पिछले भाग
ज़िम में तीन चूत और एक लंड-1
में आपने पढ़ा कि एकता और डॉली को मेरे लंड से चुदने की चुल्ल हो उठी थी.
ने आपने पढ़ा कि पुलिस वाली दो सहेलियों ने मुझे अपने पास ही रख लिया था और मेरा इस्तेमाल चूत गांड चुदाई के लिए करती थी. एक बार उनकी एक और सहेली उनके घर आई कुछ दिन के लिए तो उन तीनों ने मेरी जवानी का भोग लगाना शुरू किया.
अब आगे..
पन्द्रह मिनट तक लंड चुसवाने के बाद मैंने दोनों को उठाया और दोनों को आपस में किस में लगा कर उनकी कमर में हाथ डाल कर, उनके 36 साइज़ के चारों मम्मों को मसलते हुए चूसने लगा.
इस तरह हम तीनों अपने काम में लगे हुए थे.
फिर कुछ देर बाद मैंने दोनों के नीचे की लैगीज को भी उनके शरीर से हटा दिया और उनके पास में रखी एक बेंच पर बैठा दिया. एकता को पीठ के बल लेटाया, फिर डॉली को एकता के ऊपर हिप्स टिकाने का बोला, जिससे दोनों की चुत पास आ गईं. डॉली हाथ के बल से थोड़ी झुकी हुई थी और डॉली के हिप्स एकता की चुत के कुछ ही ऊपर रखे हुए थे.
मैं नीचे झुका और दोनों की चुत पर हाथ फिराने लगा.. साथ ही उनकी क्लिट को कुतरने लगा. फिर दोनों की चुत पर ढेर सारा थूक लगा कर चुत चाटना चालू किया.
मैंने एकता की चुत से शुरू किया और अन्नू की चुत में उंगली गीली करके डालने लगा. दोनों उछलने लगीं.. नीचे से एकता डॉली के बूब्स दबाने लगी. मैं बारी बारी से दोनों की चुत चाट रहा था. जुबान को नुकीली बना कर चुत के अन्दर भी कर रहा था. दोनों मुझे इंग्लिश ने और हिंदी में गालियां दिए जा रही थीं.
‘ऊऊऊहह…. सक मी..’
‘कम ऑन सक हार्ड..’
‘आह.. सक माय पुसी..’
‘आअह्ह्ह्ह.. याआआआअ.. बेबी सक डीपर..’
वे दोनों मेरा मुँह अपनी चुत में दबाये जा रही थीं.
डॉली चिल्ला रही थी- भड़वे मादरचोद.. चाट जोर से..
दस मिनट की मेहनत के बाद पहले डॉली का पानी निकला. डॉली का हमेशा ज्यादा ही पानी निकलता है, जो डॉली की चुत से होते हुए हिप्स पर होते हुए एकता की चूत पर आ गया.
फिर एकता का भी छूट गया. मैंने दोनों का रस चाट कर साफ कर दिया, दोनों का एकदम टेस्टी पानी था. फिर दोनों को उठा के साथ में किस करने लगा. दोनों को खींच कर एक पतली लम्बी बेंच के करीब लाया. उस पर एक तौलिया बिछा कर पहले मैं पीठ के बल लेटा और डॉली को अपने मुँह के पास खींचा. एकता को मेरे लंड पर बैठने का बोला. दोनों बेंच के दोनों तरफ पैर करके अपने काम पर लगने लगीं.
डॉली की चुत मेरे मुँह के ऊपर थी, मैं अपने काम पर लग गया. एकता ने मुँह से थूक निकाल के लंड को अच्छा चिकना किया और चुत पर लंड सैट करने लगी. डॉली ने भी एकता की हेल्प की. उसने लंड को पकड़ कर एकता की चुत के पास को किया. उसे लंड पर बैठने का बोला. एकता ने एक लम्बी साँस ले कर दो झटकों में मेरे पूरे आठ इंच के लंड को अपनी चुत के अन्दर निगल लिया और ऊपर नीचे होने लगी. मैं भी डॉली की चुत और गांड पर चूसना चालू रखे हुआ था. डॉली गांड उचका उचका के मजे ले रही थी और एकता लंड की सवारी का मजा ले रही थी. उन दोनों के हाथ मेरे सीने पर थे और ऊपर एक दूसरे के बूब्स दबाना और किस करे जा रही थीं.
अचानक एकता ने स्पीड बढ़ा दी और अब वो जोर जोर से लंड के ऊपर कूद रही थी. मैं भी डॉली की चुत में उंगली अन्दर बाहर कर रहा था और उसकी गांड को जुबान से चाट रहा था.
थोड़ी देर में एकता का पानी निकलने लगा और मेरे लंड से होते हुए मेरी गोटियों को भी गीला करने लगा. एकता रुक गई और डॉली उसे किस करने लगी. मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और इसका नतीजा ये हुआ कि डॉली ने भी मेरे मुँह पर अपना गाढ़ा पानी निकाल दिया, जिसे मैं बड़े मजे से चाट गया.
फिर दोनों को अपने ऊपर से हटा कर डॉली को बेंच पर पीठ के बल लिटा दिया. एकता को डॉली के मुँह पर आगे की तरफ झुक के घोड़ी स्टाइल में होने का कहा और मैं डॉली की मोटी मोटी जांघें ऊपर उठा कर फैलाने लगा.
अब मैं अपने आठ इंच के लंड को डॉली की चुत की क्लिट पर घिसने लगा. डॉली एकता की चुत चाटना चालू कर चुकी थी और मादक अंदाज में गालियां देते हुए बोलने लगी थी- डाल मादरचोद अन्दर.. क्यों तड़पा रहा है..
उसकी गाली सुनकर मैंने एक धक्का लगा कर आधा लंड उसकी चुत में डाल दिया. डॉली ने एक लम्बी सिसकारी ली और फिर एकता की चुत में मुँह डालने लगी. मैंने एक और धक्के के साथ पूरा लंड अन्दर डाल दिया और फिर अन्दर बाहर करने लगा. इसके साथ ही झुक कर एकता की गांड को भी चाटने लगा. डॉली और मेरे चाटने की वज़ह से एकता की कमर चलने लगी.
वो मुझे और डॉली को गालियां देने लगी- सालों जोर से चाटो कुत्तों.. पूरा रस निकाल लो इस मादरचोद चुत का.. आह..
मैं डॉली की चुत का भुर्ता बनाने में लगा हुआ था. डॉली को पता था कि मैं जिस भी जगह चाटता हूँ, उसे अपने लंड से बजाता भी हूँ. इसलिए डॉली ये समझ चुकी थी कि अब एकता की गांड की भी बारी है.
मैंने स्पीड तेज कर दी और दस मिनट में डॉली का फिर से पानी निकल गया. मैंने लंड को बाहर निकाल कर डॉली के चुत के रस में सराबोर कर लिया और दोनों को उठा कर उनका मुँह लंड के सामने कर दिया. दोनों लंड को अपनी जुबान निकाल कर आइसक्रीम की तरह चाटने लगीं.
मैं झुक कर अपने लंड को देख रहा था.
पांच मिनट की लंड चुसाई के बाद मैंने कहा- एकता की गांड बड़ी मस्त है.. आज तो मैं गांड लेकर ही रहूँगा.
एकता झट से घबराते हुए बोली- अरे नहीं यार.. गांड में लंड लिए हुए बहुत दिन हो गए.. और ये तो मूसल है साला मादरचोद थक भी नहीं रहा है.
ये सुन कर डॉली हंसने लगी और बोली- इसलिए तो हम इसे छोड़ते नहीं हैं.
एकता भी मेरी तरह निरीह भाव से देखने लगी तो डॉली ने कहा- अरे मैं हूँ ना हेल्प के लिए.
मैं भी एकता को झुक के किस करने लगा और डॉली एकता की गांड पर हाथ फेरने लगी. फिर दोनों ऊपर उठीं, मैंने एकता को बेंच पर पीठ के बल लेटने का बोला और डॉली को उसकी गांड चाटने का बोला.
डॉली ने ढेर सारा थूक लगा कर गांड में एक उंगली अन्दर बाहर करने लगी. मैं एकता के मम्मों को चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चुत की क्लिट को कुरेदने लगा. एकता फिर से तड़पने लगी.
डॉली धीरे धीरे दो, फिर तीन उंगलियों को एकता की गांड में अन्दर बाहर करने लगी. थोड़ी देर तक ये चलता रहा.
फिर मैंने डॉली की तरफ देखा और आँख मारी. अचानक मैंने एकता को उठा दिया और खुद पीठ के बल बेंच पर लेट गया. मैं बेंच के लास्ट सिरे पर अपने हिप्स टिका कर लेटा था. डॉली ने मेरे लंड को बहुत सारा थूक लगा कर गीला किया और एकता को इशारा किया. डॉली ने लंड को पकड़ रखा था और एकता को लंड के ऊपर आने का बोला और एकता की गांड पर मेरे लंड को सैट करने लगी.
एक दो बार फिसलने के बाद लंड का टोपा गांड में जाने में सफल रहा. एकता ने जोर से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ निकाली और बोली- बहुत दिनों बाद एक कड़क लंड गांड में गया है.. साले धीरे से मारना कुत्तों.. मेरी एक ही गांड है भोसड़ी के मेरी गांड फाड़ोगे क्या?
एकता ये बोलती हुई गालियां निकालने लगी और जोर जोर से गुर्राने लगी. एकता ने दोनों हाथ पीछे करके मेरे सीने पर रखे हुए थे, अब वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी. डॉली भी उठ कर एकता को किस करने लगी और एकता के हिप्स पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी.
मैं अपने हाथों से एकता के एक चूचे की निप्पल को उमेठ रहा था, जिससे उसकी चुदास भड़क रही थी. कुछ देर बाद डॉली ने एकता के हिप्स को पकड़ा और ज्यादा जोर से लंड पर ऊपर नीचे करने लगी, जिससे लंड अब एकता की गांड में करीब 6 इंच तक अन्दर बाहर होने लगा था.
अब एकता को भी अच्छा लगने लगा और अब वो खुद ही लंड ऊपर नीचे होते हुए पूरा लवड़ा अन्दर बाहर लेने लगी.
डॉली नीचे झुक कर एकता की चुत को चाटने लगी और मेरी गोटियों के साथ भी खेलने लगी.
एकता अब स्पीड से ऊपर नीचे होने लगी थी और उसकी चुत से रस बहने लगा था, जो उसकी गांड तक और लंड पर पता चल रहा था. एकता की चुत के रस से लंड को चिकनाहट मिल रही थी और लंड चिकना होकर गांड में चमक रहा था.
तभी डॉली ने मेरे दोनों पैर थोड़े ऊपर उठाए और अपनी जुबान मेरे गांड के छेद पर फिराने लगी. मैं समझ गया कि डॉली को भी गांड में लंड लेना है. वो मेरी गांड पर थूक थूक कर उसमें उंगली करने लगी. इधर एकता पूरा आठ इंच का अपनी गांड की टाईट घाटी में लेने में लगी हुई थी. मैं तो होश में नहीं था करीब दस मिनट से ज्यादा की एकता की गांड चुदाई के बाद मैंने उसे ऊपर से हटाया और डॉली को बेंच पर लेटा दिया. इसके बाद मैंने एकता को डॉली के ऊपर घोड़ी जैसा बनने का बोला और डॉली की गांड पर झुक कर बहुत सारा थूक लगा दिया. साथ ही मैंने अपने लंड पर भी थूक लगाया.
इतने में मैंने देखा कि वे दोनों आपस में किस करने में लगी हुई थीं. दोनों के 36 इंच के चूचे भी आपस में चिपके हुए थे.
फिर मैंने डॉली की गांड में अपने लंड को सैट किया. लंड डॉली की गांड में उतरता चला गया. एक बार में ही चार इंच से ज्यादा घुस गया था. फिर एक और झटके के साथ पूरा लंड अन्दर डाल दिया. डॉली आवाज़ निकालना चाहती थी लेकिन एकता ने किस करके उसका मुँह बंद कर दिया.
डॉली की गांड तो मैंने कई बार मार चुका था तो जल्दी ही स्पीड पकड़ ली और तेज़ धक्के मारने लगा. डॉली मुँह से ‘आआह्ह फक हार्डर.. या बेबी.. कम ऑन.. फक डीप माय आस.. फक युअर बिग कोक.. आह.. यू फक सो गुड..’
मैंने भी एक हाथ से एकता के दूध, दूसरे से डॉली के चूचे दबाते हुए डॉली की गांड में लंड पेलना चालू रखा था. थोड़ी देर बाद मैंने लंड को निकाल कर एकता की गांड में डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा.
ये सब रासलीला अन्नू सामने बैठ कर देख रही थी और हमारे मजे ले रही थी. वो बीच बीच में मुझे जोर से चोदने का बोल रही थी. एकता भी नीचे से ‘ऊऊऊ.. ओह्हह्ह यू फक सो गुड.. फक माय एस..’ जैसे शब्द मुँह से निकाल रही थी. वे दोनों एक दूसरे को किस भी किए जा रही थीं. मैं भी पाली बदल बदल के दोनों की गांड मारे जा रहा था.
फिर मेरे छूटने का टाइम भी आ गया. मैंने लंड गांड से बाहर निकाल कर दोनों को लंड के सामने मुँह करके बैठाया और अपना लंड हिलाने लगा.
‘आआह.. आआह्हह..’ की आवाज़ मेरे मुँह से निकलने लगी. दोनों जुबान बाहर करके ‘उह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्हह.. करते हुए लंड की तरफ देखने लगीं.
फिर आठ-दस तेज़ धार के साथ वीर्य की पिचकारी दोनों के मुँह में छोड़ दी. दोनों का मुँह वीर्य से भर गया. दोनों ही वीर्य को अन्दर गटक गईं और बड़े मजे से आपस में किस करते हुए शरीर पर गिरी हुई एक एक बूंद वीर्य को पूरा चाट गईं.
इधर मैं ‘आआह.. आह्ह्ह्हह्ह..’ की आवाजें निकालने लगा. अपने लंड को दोनों के मुँह के सामने करने लगा. दोनों ने अपनी अपनी जुबान से पूरे लंड को भी साफ कर दिया.
एकता ने बोला- यार, इसका टेस्ट तो बहुत यम्मी है.
उसने मेरे लंड को जड़ तक अपने मुँह में लेकर उसका बचा हुआ एक एक बूंद भी निचोड़ कर पी लिया. फिर मेरे सामने देखते हुए दोनों आपस में किस करने लगीं.
करीब एक घंटे की चुदाई के बाद मैं थोड़ा थक गया था और बेंच पर ही बैठ गया.
अन्नू मेरे पास आकर मेरे होंठों पर किस करके बोली- क्यों एकता, कैसी लगी हमारे घोड़े की राइडिंग??
एकता ने कहा- यार अन्नू, इतनों से चुदवा चुकी हूँ.. लेकिन इतनी लम्बी चुदाई.. वो भी दो की एक साथ.. मैंने कभी नहीं देखी.. सच में तेरा घोड़ा कमाल का है.
फिर अन्नू मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. मुझे भी नई चुत का टेस्ट मिलने लगा था. फिर हम चारों उठे और नहाने चले गए. फिर हम सभी ने नाश्ता किया. मैं रोज़ सुबह दो अंडे और बादाम का दूध और रात में, अन्नू ने एक सेक्स डॉक्टर से एक टॉनिक लिया हुआ है, तो उसे दूध के साथ पीता हूँ, जिससे सेक्स पॉवर स्टेमिना बढ़ जाता है और बॉडी भी ग्रोथ करती है.
एकता के आठ दिन तक यहीं रुकने तक यही सब चलता रहा. अन्नू की दिक्कत ख़त्म होने के बाद एक बार हम चारों ने साथ में सेक्स किया.
अन्नू और डॉली ने तो मुझे रखा ही इसलिए है कि जब वो चाहें अपनी चुत और गांड की सेवा मेरे लंड से करवा सकें. लेकिन अगले दिन दोनों की पन्द्रह दिन की जबलपुर की ट्रेनिंग का लेटर आ गया था तो उन्हें जाना था. वहां सब लेडीज एक ही बड़े रूम में रहती हैं इसलिए मुझे साथ में नहीं ले जा सकती थीं.
इस मौके पर एकता ने पूछा कि इसे मैं अपने साथ मुंबई ले जाऊं?
अन्नू ने कहा- अरे नहीं..
लेकिन एकता के फ़ोर्स करने पर वे दोनों तैयार हो गईं. क्योंकि अब डॉली का भी मासिक आने वाला था, तो दोनों राजी हो गईं.
एकता ने हम दोनों की टिकट बुक करवाई लेकिन ट्रेन से.. क्योंकि वो ट्रेन में भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी.
एकता ने डॉली को बोला- यार इसका लंड इतना मस्त है तो मैं उसे मुंबई जा के उसका सजाना संवारना करूँगी.
मैं इस बात का मतलब कुछ समझा नहीं. फिर हम दोनों मुंबई के लिए निकल गए.

ज़िम में तीन चूत और एक लंड-1

अन्नू और डॉली ने मुझे काम छुड़ा कर अपने साथ ही रख लिया. अब मैं उन्हीं के साथ रहता हूँ. उन्होंने अपनी कई सहेलियों से मिलवाया और ऐश करवाई. दोनों की दोस्ती इंडिया में लगभग सभी शहरों में थी. उनके यहाँ काफी महिलाओं का आना जाना था, सभी हाई प्रोफाइल घर की या बड़ी पोस्ट पर या बड़े बड़े बिजनेस मेन की पत्नियां या उन्हीं के घर में से थीं.
उनकी उन्हीं फ्रेंड्स में एक एकता की बात लिख रहा हूँ. एकता फिगर के मामले में डॉली की टक्कर की है. उसकी उम्र करीब 45 साल की है. वो दो बच्चों की माँ है. उसकी एक लड़की की शादी जयपुर के हीरा व्यापारी के यहाँ हुई है. हीरा व्यापारी की पत्नी का अन्नू और डॉली के यहाँ आना जाना था. एकता के पति मुंबई में इनकम टैक्स में बड़ी पोस्ट पर हैं. छापे डालने का काम भी करते हैं, इसलिए काफी पैसे वाली पार्टी थी.
एक बार एकता एक सप्ताह के लिए अन्नू और डॉली के यहाँ आई हुए थी. अन्नू और डॉली ने मुझे घर में शार्ट पहनने से मना किया हुआ था, तो मैं जॉन अब्राहिम वाली चड्डी में ही घर में रहता था. घर में ही जिम था तो मैंने कसरत करके अपना शरीर अच्छा कर लिया था. खाने पीने की भी कोई कमी नहीं थी.
एकता जब आई तो उसे लेने अन्नू ही एयरपोर्ट गई थी. जब वो आई उस वक्त मैं अपने ऊपर वाले रूम में था. घर के अन्दर मुझे जोर जोर हंसी की आवाज़ आई. मैंने गैलरी से देखा तो एकता, अन्नू और डॉली काफी हंस हंस के और आपस में किस करते हुए बातें कर रही थीं.
मैं ऊपर से देख रहा था, तभी अन्नू ने मुझे देखा और आवाज दी- कम ऑन अरमान कम.. ज्वाइन अस.
मैं नीचे उतरने लगा तो एकता मुझे ही देखे जा रही थी. जब मैं उनके बीच पहुँचा तो अन्नू और डॉली ने उठ के मुझे एकता के सामने ही बारी बारी से किस किया और गुड मॉर्निंग कहा.
एकता ने पूछा- ये लड़का कौन है?
डॉली ने कहा- ये हमारा सेवक है, जो हमारी रात दिन सेवा करता है.
यह सुन कर एकता उठी और बोली- मेहमानों की सेवा भी करोगे या नहीं?
मैंने दोनों की तरफ देखा और अन्नू ने कहा- बिंदास एन्जॉय करो यार..
इतना सुनते ही एकता ने मेरे सर को अपनी तरफ खींचा और एक लॉन्ग स्मूच करते हुए मेरे सीने पर हाथ फिराने लगी. साथ ही वो एक हाथ से मेरे लंड को दबाने लगी. मेरा भी मूड बनने लगा, मैं भी अब एकता को अपनी ओर खींच कर उसकी कमर में हाथ डाल कर स्मूच करने लगा.
इतने में डॉली ने कहा- अरे पहली मुलाकात में इतना काफी है.
मैंने भी एकता को ढीला छोड़ दिया.
एकता बोली- तुम दोनों की चॉइस अच्छी है.. जवान लड़का है, इसकी जवानी का रस निचोड़ रही हो दोनों.
ये सुन के दोनों खिलखिला कर हंसने लगीं.
अन्नू बोली- अरे यार एकता, तू थक गई होगी.. फ्रेश हो जा, थोड़ा आराम कर ले. ये यहीं है हमारी सेवा करने के लिए.. इसका मजा बाद में ले लेना.
इसके बाद तीनों उठीं, अन्नू एकता को उसका रूम दिखाने लगी. मैं और डॉली ऊपर कमरे में आ गए, फिर मैं दिन में करीब एक बजे के आस पास उठा, नहाया और देखा कि अन्नू और डॉली अपने काम पर गई हुई थीं. मैंने कॉल करके कन्फर्म किया, एकता को देखा तो अपने रूम में सो रही थी. मैंने उन्हें उठाना ठीक नहीं समझा और मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ के हमारी काम वाली बाई को खाने का कहा, उसने मुझे खाना दिया मैंने खाया और रूम में जा के टीवी देखने लगा.
तभी अन्नू का मेरे पास फोन आया- एकता उठ गई क्या?
मैंने बताया कि वो सो रही हैं तो अन्नू बोली- हम दोनों चार बजे तक आ जाएंगी, फिर हम शाम को कहीं चलेंगे.
मैंने हां कहा और फिर वापस टीवी देखने लग गया.
करीब ढाई बजे मैंने नीचे आवाज़ सुनी, देखा तो एकता उठ चुकी थी. गैलरी से मैं नीचे आके सोफे पर एकता के पास बैठा. एकता मेरे सीने पर अपना सर रख के फिर से सोने का नाटक करने लगी.
मैंने कहा- उठो नहा लो, खाना खा लो चार बजे दोनों आ जाएंगी, हमें शाम को बाहर चलना है.
एकता ने कहा- मैं बहुत थक गई हूँ.. तुम हेल्प करो ना.
मैंने कहा- क्या हेल्प करूँ?
एकता ने कहा- मुझे नहला दो प्लीज.
मैंने एकता को अपनी बांहों में उठाया और बाथरूम की तरफ चल दिया. मैंने उसे बाथटब में बैठा दिया और एक एक कर उसकी टी-शर्ट को, फिर केप्री को निकाला. ब्रा तो एकता ने पहनी ही नहीं थी तो कबूतर झट से आज़ाद हो गए. उसके 36 साइज़ के एकदम सख्त मम्मे मुझे ललचाने लगे. मैं टब के ऊपर बैठ कर उसके कबूतरों पर हाथ से पानी डालने लगा और उनको साफ करने लगा.
एकता ने कहा- तुम भी आओ न!
मैं भी एकता के पीछे टब में बैठ कर उसकी गर्दन को पीठ को गालों को चूमने लगा और हाथों से बूब्स को मसलने लगा. एकता के बूब्स और डॉली के मम्मे लगभग बराबर साइज़ के थे. करीब 45 मिनट तक हम दोनों साथ में नहाये. फिर दोनों ने बाहर आ के- ड्रेस पहनी और खाने की टेबल पर आकर बैठ गए. मैंने बाई को आवाज़ दी. बाई ने एकता का खाना लगाया और मुझे बादाम का शेक दिया.
हम दोनों खाना खा ही रहे थे कि घंटी बजी, बाई ने दरवाज़ा खोला तो दोनों मैडम ही थीं.
दोनों आके मेरे आस पास कुर्सी पर बैठ गईं और बोलीं- और क्या किया दोनों ने अकेले अकेले?
एकता ने कहा- अरमान ने मुझे अच्छे से सारे शरीर पर बॉडी वाश से नहलाया और फिर मुझे यहाँ उठा कर खाना खिलाने लाया ही था कि तुम दोनों आ गईं.
अन्नू बोली- हमारे सेवक की सेवा से मजा आ रहा है या नहीं?
एकता बोली- यार, मेरे पास ऐसा सेवक हो तो मैं दिन रात बेडरूम में ही रहूँ. मेरा ब्वॉयफ्रेंड तो मुझे टाइम देता ही नहीं, जब बोलो मिलने का.. तो बोलता है बिजी हूँ..
इतने में डॉली बोली- अरे नो टेंशन, अभी तू यहाँ है, हमारा सेवक किसी का दिल नहीं तोड़ता, सबको खुश करता है.
वो हंसने लगी तो अन्नू बोली- शाम को बाहर का प्लान है. शाम को पब या क्लब चलेंगे और वहीं एन्जॉय करेंगे. सात बजे चलना है.
सबने ओके कहा और फिर अन्नू और डॉली फ्रेश होने चली गईं.
डॉली ने मुझे आवाज़ दी तो मैं उनके साथ चल दिया.
डॉली ने कहा- हम अभी आधे घंटे में नहाएंगे तो साथ में आ जाना.
मैंने ओके कहा.
जब नहाने का दोनों का मूड हुआ तो मुझे आवाज़ दी.. मैं उनके साथ बाथरूम में दोनों के साथ घुस गया. हम तीनों ने पहले शावर लिया, फिर मुझे इशारा किया तो मैं बारी बारी से दोनों के शरीर पर बॉडीवाश लगा कर उनकी बॉडी को साफ करने लगा. हम तीनों बिना कपड़ों के थे, दोनों के बूब्स हिप्स और शोल्डर सभी जगह को साफ करने के बाद हम तीनों ने फिर से शावर लिया और शावर में खड़े होकर तीनों ने आपस में करीब 15 मिनट तक काफी लम्बे स्मूच किए. लगभग तीस मिनट से ज्यादा के नहाने के बाद हम तौलिया लपेट कर बाहर आये और अपने अपने कपड़े पहनने लगे. इतने में छह बज चुके थे. बाई ने सबको मिल्क शेक पिलाया और फिर हम चारों कार लेकर क्लब की ओर चल दिए.
क्लब विजय नगर के एरिया में था, लेकिन पहले हम राजवाड़ा, सर्राफा होते हुए फिर क्लब पहुँचे. इतने में रात के दस बज चुके थे. क्लब में लगभग सभी मेंबर आ चुके थे. सभी मेम्बर लेडीज ही थीं, जो अपने ब्वॉय फ्रेंड साथ में लाई थीं या अकेले ही आई थीं. सभी अच्छे रिच परिवार से थीं और सभी का पहनावे एकदम फूहड़ थे. मैं पहले भी कई बार आ चुका था तो मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी. किसी ने लो-वेस्ट साड़ी और बैकलैस ब्लाउज पहना हुआ था.. तो किसी ने शॉर्ट्स डाला हुआ था. सभी अपने अपने शरीर की नुमाइश के लिए आई हुई थीं. हमारी एंट्री होते ही लगभग सबने हम से हाय हैलो किया.
क्लब मेम्बर में से एक मिसेज रॉय, जो मुझ पर शुरू से फ़िदा हैं, उन्होंने मुझे पकड़ कर किस किया और अन्नू और डॉली को बोला- अरे यार, इसे तो मुझे दे दे, इसका तो एक एक बूंद रस निचोड़ लूँगी.
डॉली ने कहा- अभी तो हम इस घोड़े की सवारी कर रहे हैं और फिर एकता भी आ गई है, तो अभी तो इस को छोड़ नहीं सकते.. और आजकल ऐसा लम्बी रेस का घोड़ा कहां मिलता है क्यों मिसेज रॉय?
मिसेज रॉय ने कहा- हां यार, हमारे इतने अच्छे नसीब कहां, हमारा आइटम तो जल्दी थक जाता है.
यह कह कर मिसेज रॉय ने मेरे गाल पर एक किस करके एक लम्बी साँस ली. सभी अपने अपने काम में बिजी हो गए.
कोई लेडी अपने ब्वॉयफ्रेंड की बांहों में बाँहें डाल कर डांस कर रही थी, तो कोई बार में बैठ कर ड्रिंक ले रही थी. हम चारों ने पहले ड्रिंक्स ली, फिर कुछ हल्का खाना खाकर डांस करने लगे. तीनों ने मुझे आस पास से घेर रखा था.
क्लब में करीब 140 से 150 मेंबर थे और 80 से 90 लड़के थे, तो क्लब लगभग फुल था. इसके बीच दो पुलिस वाली ही अन्दर थीं, तो किसी को क्या टेंशन था. सब इंजॉय कर रहे थे. डांस के बीच बीच में मैं तीनों में से किसी से भी किस हग और हिप्स पे हाथ फेरना.. सब कर रहा था.
हम सुबह जल्दी जिम के लिए उठते हैं तो हम सब ने कम ड्रिंक्स पी थी. कोई कोई तो टुन्न हो चुके थे. लगभग 12.30 बज गए, जब मैंने समय देखा तो सबको चलने का इशारा किया और फिर हम चारों घर की ओर चल दिए.
घर पहुँचे तो बाई को आवाज़ दी, बाई ने खाना लगाया, थोड़ा थोड़ा खाना सबने खाया. चूँकि हम सब थके हुए थे तो सोने चल दिए. सब लोग एक ही रूम में सोये. सुबह छह बजे सबसे पहले अन्नू उठी.. उसने मुझे एक मॉर्निंग किस की और जगाया. फिर उसने डॉली को भी किस करके जगाया, मैंने एकता को किस करके जगाया.
जिम जो कि घर के ऊपर ही था तो साढ़े छह तक सब रेडी होकर कसरत करने लगे. जिम बिल्कुल पैक और लॉक करके रखा था क्योंकि मूड हुआ तो यहीं चालू हो गए, हल्का हल्का म्यूजिक चल रहा था.
करीब 45 मिनट के वर्क आउट के बाद डॉली मेरे पास आई और मेरे सामने आकर मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी. अन्नू और एकता मेरी पीठ के पीछे कसरत कर रही थीं. मेरी बॉडी फूली हुई थी और मैं सिर्फ शॉर्ट्स में था.
मैं एकदम से डॉली का मूड समझ गया. मैं रुका, पसीना पोंछा और डॉली को पास खींच कर उसे किस करने लगा. डॉली भी साथ देने लगी. फिर वो मेरी छातियों के निप्पल चूसने लगी, इससे मैं भी फुल मूड में आ चुका था. नीचे छोटी सी चड्डी में मेरा आठ इंच का लंड खड़ा हो चुका था. डॉली ने मेरे खड़े होते हुए लंड को देख लिया था.
मैंने भी थोड़ा सा उठ कर चड्डी को निकाल दिया. लंड उछल कर पेश हुआ तो डॉली ने आगे बढ़ कर अपना मुँह खोल कर लंड अन्दर ले लिया. मैं ऊपर आँखें बंद करके उसके मुँह के झटकों को बर्दाश्त कर रहा था.
मैं डॉली के बाल पकड़ कर मेरा लंड उसके मुँह में पूरा डालने की कोशिश कर रहा था. डॉली ने धीरे धीरे पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. लंड पूरा मुँह में रख के जुबान से लंड की जड़ तक के हिस्से को चाटने लगी थी.
मेरा लंड डॉली के गले तक पहुँच गया था. तभी मैंने पास देखा तो अन्नू और एकता खड़े थे और हमें इस तरह की चुसाई करते हुए देख रही थीं.
एकता ने अपनी चुत सहलाते हुए कहा- अकेले अकेले चालू हो गए?
डॉली ने कहा- कम ऑन जॉइन अस..
ये सुन कर एकता ने मुझे झुक के किस किया और डॉली फिर से लंड चुसाई में चालू हो गई. मैंने एकता के चूचे दबाना चालू कर दिए और उसके जिम के कपड़ों को निकालने की कोशिश करने लगा. एकता ने भी कपड़े निकलवाने में जल्दी दिखाई और जल्द ही एकता ऊपर से पूरी नंगी हो गई.
एकता के 36 साइज़ के चूचे आज़ाद हो गए. मैं भी उन पर टूट पड़ा. एक दूध को मुँह में और एक को हाथों से दबाने लगा. डॉली नीचे अपने काम पर लगी हुई थी, वो पूरा लंड अपने मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी और जब लंड बाहर तक आता तो सुपारे पर अपनी जुबान भी मार रही थी.
थोड़ी देर के बाद डॉली ने एकता का हाथ पकड़ कर नीचे घुटनों पर बैठाया और लंड को एकता की तरफ बढ़ा दिया. एकता भी पक्की खिलाड़ी थी, तो झट से पूरा लंड मुँह में ले कर चूसने लगी. अब डॉली मेरी गोटियों को मुँह में लेने लगी. बारी बारी से दोनों मेरे लंड को चूस रही थीं और एक दूसरे को किस भी कर रही थीं.
मैं ऊपर मुँह करके इस पल का मजा ले रहा था. फिर मैं खड़ा हुआ और लंड को उनके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा. अब मेरी कमर भी चलने लगी. डॉली ने लंड को जड़ से पकड़ रखा था और वो मेरी बॉडी को भी चूमे जा रही थी. अन्नू को अभी कुछ प्रॉब्लम में थी, इसलिए वो सिर्फ देख सकती थी. वो पास में बैठ कर हमें देख रही थी.

थ्रीसम सेक्स कहानी: गर्लफ्रेंड की सहेली को चोदा

गर्लफ्रेंड की चूत चुदाई का मजा लेने के बाद मैं उन दोनों को उनके कमरे पे छोड़ आया और आकर सो गया।
11 बजे के आस पास मेरे रूममेट ने आकर मुझे जगाया और रात के बारे में पूछने लगा तो मैंने उसे सिर्फ इतना कहा कि शीतल के साथ थोड़ा कुछ ही हो पाया है।
तो उसने मुझे कहा- अब तुम्हें मेरे लिए भी किसी माल को पटाना पड़ेगा।
मैंने भी हाँ कह दिया और उठकर तैयार होने लगा।
दोपहर को खाना खाने के बाद मैंने शीतल को कॉल किया. उसने कॉल उठाते हुए मुझे ढेर सारी चुम्मियाँ दे दी। तो मैंने उसे इसका कारण पूछा तो उसने मुझे कहा- कल रात को तुमने जो मजा दिया है, ये उसका गिफ्ट है।
फिर हमारी हर रोज हमारी यू हीं बातें होने लगी। ऐसे ही कई दिन बीत गए और मैं शीतल को रूम पर लाकर कई बार चोद चुका था।
एक दिन एक बार मुझे शीतल का कॉल आया और मुझे कहा कि उसे कल घर जाना है, उसके रिलेशन में किसी के यहाँ शादी है और आज रात वो मुझसे मिलना चाहती है। मैंने भी जल्दी से हाँ कह दी क्योंकि मेरा भी फिर से सेक्स करने का हो रहा था।
तो इस बार भी मैंने अपने दोस्त को किसी और के रूम पे जाने के लिए बोल दिया। रात को जब मैं उसे लेने रहा था तब उसका कॉल आया और मुझे बताया कि उसके साथ उसकी फ्रेंड काजल भी रूम पे आना चाहती है।
मैंने भी सही मौका देखकर हाँ कह दिया क्योंकि में सोच रहा था किसी तरह काजल को पटा कर दोनों को चोदूंगा।
मैं जब उन दोनों को रूम पे लेकर पहुंचा तब मुझे फुरसत मिली काजल को ठीक से देखने की… काजल भी किसी परी से कम नहीं थी। काजल ऊंचाई में शीतल से थोड़ी ऊंची थी और रंग में उसके जैसे ही गोरी थी। काजल के बारे में मुझे सबसे अच्छा लगा, वो है कि उसके चूचे और गांड दोनों शीतल से बड़े थे।
हम तीनों हर बार की तरह बातें कर रहे थे और मैं सोच रहा था कि एक बार शीतल को चोद लूं, उसके बाद काजल को चोदने के लिए पटाऊंगा।
इस बीच काजल ने कहा कि उसे नींद आ रही है और वो साइड जाकर सो गई। असल में वो हम दोनों को चुदाई का मौक़ा दे रही थी.
मैं और शीतल दोनों बात कर रहे थे क्योंकि शीतल मेरे ही कॉलेज में थी तो मुझे उसके बारे में सब कुछ पता था। काजल हमारे कॉलेज में नहीं थी, वह सिर्फ शीतल के साथ रूम शेयर करके रह रही थी और दूसरे कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी।
जब हमें ऐसा लगा कि काजल सो गई है तो शीतल मेरे पास आयी और मुझे गले लिपट गई, मैंने भी उसको जौर से अपनी बांहों में भर लिया और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा। कभी उसके होंठ चूस रहा था तो कभी उसके चूचों को दबा देता था जिस वजह से उसके मुंह से सिसकारी निकल जाती थी।
थोड़ी देर चुम्मा चाटी करने के बाद दोनों एक दूसरे के कपड़े निकालने लगे और साथ में एक दूसरे के होंठों को चूसते जा रहे थे। थोड़ी ही देर में देखते देखते दोनों पूरे नंगे हो गए थे। अब मैं धीरे धीरे उसकी चूचियों की तरफ बढ़ा और चूचियों को मसलने लगा तो कभी काटने लगा। वहाँ से आगे बढ़ते हुए मैं अपना मुंह उसकी चूत के पास ले गया और चूत चाटने लगा।
मैं जोर जोर से चूत चाट रहा था और शीतल मेरे बाल पकड़कर मेरे मुंह को चूत पर दबा रही थी।
मेरी पीठ पीछे काजल सो रही थी.
तभी मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे लंड को सहला रहा है। मैंने मुंह को चूत से हटाया तो देखा कि काजल मेरे लंड को सहला रही है। मैंने झूठमूठ का गुस्सा दिखाते हुए कहा- कि ये क्या कर रही हो? तब शीतल ने मुझे कहा कि उसका बॉयफ्रेंड उसको छोड़ के चला गया है और वो जब से मेरे साथ आई थी, तब से उसका भी चुदाने का मन कर रहा था. तुम उसे मेरे साथ चोदना ताकि वो भी संतुष्ट हो जाए।
मैं समझ गया कि मैं यहां शिकार करने की योजनाएं बना रहा था और यहां तो शिकार मेरे लिए पहले से तैयार था। मैंने थोड़ी आनाकानी की दिखाने के लिए और फिर हाँ कह दिया।
जैसे ही मैंने हाँ कहा, शीतल और काजल दोनों हाथ मेरे शरीर पर रेंगने लगे। मैं तो अब जन्नत में था.
दोस्तो, क्या बताऊं आपको… ऐसा मेरे साथ पहली बार था कि मैं एक साथ दो लड़कियों के साथ था और थ्रीसम सेक्स कर रहा थ। दोनों मेरे शरीर पर हाथ घुमा रही थी साथ में कभी मेरे होंठों पे तो कभी गर्दन पर या कान के पास चुम्मियाँ ले रही थी।
मैं भी अब काजल के हुस्न और जिस्म को देखने के लिए बेताब था तो मैंने भी उसके कपड़े उतार दिए।
मेरे तो नसीब खुल गए थे।
अब हम तीनों पूरी तरह नंगे थे। मैं कभी शीतल की तो कभी काजल की चूचियां चूसता और दबा देता, वो भी मेरे शरीर पर चुम्मियाँ ले रही थी। साथ ही दोनों एक दूसरी के होंठ भी चूस रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने शीतल को फिर से लेटाया और उसकी चूत चूसने लगा और काजल ने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी।
मैं और भी जोश में शीतल की चूत चाटने लगा। तब शीतल ने काजल से मेरे लंड को मुंह में लेने को कहा तो काजल मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. क्या बताऊं कि कैसा आनन्द आ रहा था मुझे।
थोड़ी देर शीतल की चूत चाटने के बाद वो अकड़ने लगी और पानी छोड़ने लगी, उसका पूरा नमकीन पानी पी गया और उसके बाद उसको किस किया।
तब शीतल ने बताया कि काजल भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स कर चुकी है पर उसका बॉयफ्रेंड कभी उसकी चूत नहीं चाटता और इसने भी कभी किसी लंड का स्वाद नहीं चखा था।
इस बात पे मैंने कहा कि आज उसकी सारी इच्छा पूरी कर दूंगा।
फिर मैं काजल की ओर बढ़ा और उसके होंठों को चूसने लगा. थोड़ी देर बाद उसको लेटाया और उसकी चूत पर अपना मुंह ले गया। क्या बताऊं दोस्तो… उसकी चूत एकदम फूली हुई और क्लीन शेव्ड थी, एक भी बाल नहीं था।
तो मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत पे जीभ घुमाई और चूत चाटने लगा जिससे वो पूरे जोश में आ गई और मेरा सिर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।
मैं भी उसकी चूत को चाटता तो कभी जीभ को चूत में घुसा देता था। थोड़ी देर बाद जब शीतल भी फिर से गरम हो गई तो उसने अपनी चूत को काजल के मुंह पे रख दिया. वो मना कर रही थी पर शीतल ने जबरदस्ती उसको अपनी चूत चटवाना चालू कर दिया।
इसलिए मैंने कुछ सोच कर ऐसी पोजिशन ली कि अब मैं काजल की चूत चाट रहा था, काजल शीतल की चूत और शीतल मेरे लंड को चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद हम तीनों पूरी तरह से गर्म हो गए और एक दूसरे को जोर जोर से चाटने लगे और मजा लेने लगे। थोड़ी देर बाद काजल का पानी निकलने लगा जिसको मैं पूरा पी गया। अब वो शीतल की चूत चाट रही थी और शीतल मेरा लंड।
कुछ देर हम दोनों का शरीर अकड़ने लगा और दोनों ने एक साथ पानी छोड़ दिया। शीतल ने काजल के मुंह पर चूत दबा दी जिस वजह उसे पानी पीना पड़ा और शीतल ने भी मेरा सारा पानी पिया। थोड़ा कुछ लंड पे बचा था उसे मैंने काजल के पास ले जाकर उससे चटवाया और लंड को पूरी तरह से साफ करवाया।
थोड़ी देर बाद जब तीनों फिर से गर्म होने लगे तो तीनों एक साथ एक दूसरे के होंठ चाटने लगे।
मैंने अब देर न करते हुए शीतल को लेटने को कहा और उसकी दोनों टांगों को चौड़ा करके अपने लंड को उसकी चूत पर घुमाया जिससे उसने कहा- अब डाल भी दो।
शीतल मेरा लंड लेने के लिए आदि हो चुकी थी तो मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया जिसकी वजह से उसके मुंह से ऊऊईई मा… निकल गया। अब मैं शीतल की चूत में धक्के मार रहा था और काजल कभी उसके चूचे चूसती थी तो कभी उसके होंठ चूस रही थी।
धीरे धीरे मैंने अपनी गति बढ़ाई और जोर जोर से उसको चोदने लगा। पूरे रूम में मेरी और उसकी जांघें टकराने और उसके मुंह से निकलती सिसकारियों की आवाज से गूंज रहा था। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और वो पानी छोड़ने लगी पर मेरा पानी निकालना बाकी था।
तो मैं उसको एक तरफ छोड़ कर अब काजल की तरफ बढ़ा और उसकी टांगों को फैला कर उसकी चूत पर लंड रखा और धक्का मारा, पर कई दिनों से उसकी चुदाई नहीं होने की वजह उसकी चूत टाईट हो गई थी, काजल के मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गयी!
तो मैंने शीतल को इशारा किया और फिर से लंड सेट करके जोर से झटका मारा इसी के साथ शीतल ने उसके होंठ पे अपने होंठ रख दिए और उसकी चीख जो निकलने वाली थी उसे दबा दिया।
मैं थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा क्योंकि अभी आधा ही लंड उसकी चूत में जा पाया था। थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल हुई तो मैंने धीरे धीरे अपने लंड को धकेलना चालू किया. जब पूरा लंड अंदर घुस गया तो मैंने धक्के देना चालू किया जिसकी वजह से उसके मुंह पर दर्द और मजा आने की भावनाएं दिख रही थी।
जब उसका दर्द पूरी तरह गायब हो गया तो मैंने जोर जोर से धक्के देना चालू किया जिसके साथ ही वो जोर जोर से कहने लगी- आह जय फॅक मी… ओह याहह…
यह देख कर शीतल भी हंसने लगी और बोली- ऐसा तो क्या जादू कर दिया कि मेरे मुंह से कभी कभार निकलने वाले शब्द तेरे मुख से पहली ही बार में निकलने लगे।
मैं कुछ भी उत्तर न देते सिर्फ मुस्कुरा दिया। ये सब बातें अब मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थी जिस वजह से मेरा धक्के मारना लगातार रफ्तार पकड़ रहा था. थोड़ी देर बाद मैं थक गया तो काजल मुझे नीचे लिटाकर मेरे ऊपर आ गई, मेरे लंड को अपनी चूत पे सेट करके एक ही बार में पूरा अन्दर ले लिया।
अब वो उछल उछल कर मेरा लंड चूत में ले रही थी, मैं उसके चूचों को ऊपर नीचे होता देख रहा था और उसे दबा रहा था।
तभी शीतल जो फिर से गर्म हो चुकी थी, मेरे पास आकर मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी, मैं भी उसकी चूत को चाटने लगा।
थोड़ी देर बाद काजल का पानी निकलने लगा जो मेरे लंड और जांघों से होता हुआ नीचे बहने लगा।
काजल ने कहा- तुम क्या खाते हो कि अब भी तुम्हारा नहीं निकला?
मैंने कहा- अब निकलने ही वाला है… इसे थोड़ी देर चूसो और इसका स्वाद अच्छे से लो।
काजल मेरे कहे मुताबिक लंड को चूसने लगी और मैं काजल की चूत चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद मेरा निकलने वाला था तो मैंने नीचे से गांड को ऊपर करके लंड को उसके गले तक जाने दिया और पानी की तेज धार निकल गई। उसकी सांस रुकने की वजह से काजल खांसने लगी. जब नॉर्मल हुई, तब पता नहीं क्या हुआ, वो मेरे लंड को जानवर की तरह चूसने लगी और जांघ और लंड पर जो पानी था उसे चाटने लगी।
मैं अब शीतल की चूत चाट रहा था. थोड़ी देर बाद जब उसका भी पानी निकल आया तो वो भी निढाल हो कर मुझ पर ही लेटी रही। थोड़ी देर बाद उसको एक साइड किया तो दूसरी साइड काजल आ गई और दोनों मुझसे लिपटकर बातें करने लगी।
तब शीतल ने काजल से पूछा- कैसा लगा अपने नए यार का लंड?
और मुझे बताया कि काजल को मुझसे चुदाना था इसलिए उसको अपने साथ लेकर आई थी, दोनों प्लान बनाकर ही आई थी।
मैं उनकी बातें सुनकर सोचने लगा कि जब ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ के ही देता है।
मैंने काजल को भी पूछा- मेरे साथ सेक्स का मजा आया या नहीं?
तब काजल ने बताया- मेरे बॉयफ्रेंड का लंड बहुत छोटा था और वो चूत भी नहीं चाटता था। आज तुमने अपने मोटा लंड से और मेरी चूत चाटकर मुझे बहुत खुशी दी है।
ऐसे ही बातें करते हुए तीनों कब सो गए पता ही नहीं चला।
जब मेरी आंख खुली तो मुझे लगा कि मेरे लंड को कोई चूस रहा है. देखा तो काजल बड़े प्यार से मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने घड़ी में देखा तो अभी 4 ही बज रहे थे तो मेरे पास टाइम था। मैंने फिर से काजल को गर्म किया और शीतल को भी जगा कर गर्म किया और एक बार फिर दोनों की चुदाई की और 5 बजे उनको उनके रूम पे छोड़ आया।
उसके बाद कई बार हम तीनों ने साथ मिलकर थ्रीसम चुदाई की, कभी शीतल अकेली की तो शीतल के न हो पर काजल की अकेली की चुदाई करता था। काजल की अकेली की चुदाई भी में शीतल की अनुमति लेकर ही करता था।
अब हम साथ नहीं है पर अब भी उनके मैसेज आते हैं, बातें होती रहती है।

अय्याश माँ बेटी की चूत चुदाई एक साथ

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किरायेदार ने दोस्तों से मिल कर मुझे चोद डाला-2

मेरी ग्रुप सेक्स कहानी के प्रथम अंश
किरायेदार ने दोस्तों से मिल कर मुझे चोद डाला-1
में आपने पढ़ा कि मेरे पति ने घर में एक जवान लड़का किरायेदार रख लिया क्योंकि वो अक्सर घर नहीं रहते थे. उस लड़के के रंग ढंग ठीक नहीं थे. एक दिन मैंने देखा कि वो किसी लड़की को कमरे में लाकर चोद रहा है, उसका लंड देख कर मेरी कामवासना भी हिलौरें लेने लगी.
टीवी पर चलती ब्लू फिल्म और चारों के चारों हरामज़ादे नंगे बैठे, सबने बड़े बड़े अपने लंड खड़े कर रखे थे। एक बार तो लगा जैसे मैं जन्नत में आ गई हूँ, मेरे मन की मुराद पूरी हो गई, मगर इस तरह तो मैं नहीं करना चाहती थी।
अब आगे:
मैं वापिस जाने लगी तो सतबीर एकदम से उठा और एक लुँगी सी अपनी कमर पर बांध कर आगे बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ लिया- अरे भाभी जी रुकिए, क्या हुआ, कैसे आई थी?
मैंने कहा- मैं तो तुम्हें किराये के लिए कहने आई थी, मगर तुम तो ये सब गंद फैला के बैठे हो।
सतबीर ने थोड़ी बदतमीजी तो की, मगर मेरे बिल्कुल सामने आकर मेरा रास्ता पूरी तरह से रोक लिया और दरवाजे को रोक कर खड़ा हो गया, उसका तना हुआ लंड उसकी कमर पर बंधी लुंगी में से साफ साफ दिख रहा था।
सतबीर थोड़ा सा आगे बढ़ा और वो मुझसे छू न जाए इसलिए मैं पीछे हटी। वो आगे बढ़ता गया और मैं पीछे हटती गई।
एक तरह से वो मुझे घेर कर कमरे में ही ले आया और अपने पीछे उसने दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने उसे कहा- ये क्या बदतमीजी है सतबीर, दरवाजा खोलो, मुझे जाना है.
वो बोला- माफ करना भाभी जी, मगर आज कुछ बात ऐसी है कि हम चाहते हैं कि आप भी हमारी महफिल में हमारे साथ बैठें, और रही बात किराये की, तो किराया तो मैं आपको देकर ही भेजूँगा। पर आप इस तरह नाराज़ हो कर मत जाइए, एक मिनट बैठ जाइए बस।
मैं कुछ कहती, इस पहले ही सतबीर ने मुझे ज़ोर से नीचे बैठा दिया। उन तीन लड़कों ने भी अपने खड़े लंडों पर कपड़े रख कर अपना नंगापन ढाँप लिया था, मगर कपड़े फिर भी उठे हुये थे। सतबीर ने एक गिलास में शराब डाली और मेरी तरफ बढ़ाई और बोला- लीजिये भाभीजी, हमारे साथ भी एक जाम लीजिये।
मैंने ज़ोर से कहा- सतबीर, बदतमीज़ तुम्हें पता नहीं मैं शराब नहीं पीती।
वो बोला- पीने को कौन कह रहा है, बस अपने होंटों से लगा कर इसे शर्बत बना दीजिये।
उसकी इस चमचागीरी पर मैं मुस्कुरा दी, उसने गिलास आगे बढ़ाया और मैंने उसे सिर्फ अपने होंठों से लगाया मगर पिया नहीं, तो सतबीर ने वो गिलास मेरे मुँह अलग होने ही नहीं दिया और मुझे ज़बरदस्ती दो तीन घूंट पिलवा दिये। इतना गंदा टेस्ट, मैंने शराब कभी पी ही नहीं तो मुझे तो गंदा टेस्ट ही लगना था।
उसके बाद उसी गिलास में सतबीर ने शराब भी पी। मुझे कुछ नमकीन खाने को दिया, मैंने खा तो लिया। उधर सामने टीवी पर ब्लू फिल्म चल रही थी।
वैसे ही मेरा ध्यान उस तरफ गया, तो सतबीर ने पूछा- भाभी, कैसी है फिल्म?
मैंने कहा- मुझे ऐसी फिल्मे पसंद नहीं।
एक और लड़के ने पूछा- तो और क्या पसंद है भाभी?
अब तो मैं सब की भाभी बन चुकी थी। मैंने कहा- इस में क्या है, मज़ा वो करें, और हम देखते रहें।
सतबीर ने कहा- हमारे पास तो असली मज़ा भी है!
कह कर उसने अपनी कमर पर बांधा कपड़ा हटा दिया। नीचे उसका तना हुआ लंड था; काला लंड, भूरा टोपा पूरा बाहर निकला हुआ।
मुझे देख कर मन हुआ, खा जाऊँ उसका लंड। मगर कोई रांड तो थी नहीं मैं, एक शरीफ खानदान की शरीफ बहू थी।
तो मैंने उठ कर जाने का बहाना किया, तो सतबीर ने मुझे फिर से मेरा हाथ पकड़ कर बैठाना चाहा, पर मैं उठने को बाजीद थी तो मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं गिर पड़ी। मगर गिर कर भी मैं बाहर की ओर बढ़ी, तो साले चारों के चारों मुझ पर झपट पड़े। इस से पहले के मैं संभालती, उन चारों ने मुझे दबोच लिया। मैं औंधी फर्श पर गिर पड़ी, और सतबीर आकर मेरे ऊपर लेट गया और बाकी दो लड़कों ने मेरी टाँगें पकड़ ली।
सतबीर बोला- ओए, नाईटी ऊपर उठा भाभी की, आज नहीं छोड़ेंगे इसे!
और उस लड़के ने मेरी नाईटी ऊपर उठा दी और एक ही पल में मैं कमर तक नंगी हो गई; मेरी टाँगें और मेरे चूतड़ बिल्कुल नंगे हो गए।
मैंने चीख कर कहा- हरामजादो, छोड़ दो मुझे!
जबकि ये बिल्कुल नकली गुस्सा था।
सतबीर बोला- छोड़ देंगे जानेमन, इतने दिनों से तुम्हें ताड़ रहे हैं, पहले तुझे चोदेंगे फिर छोड़ेंगे।
मैंने फिल्मी डायलॉग मारा- अगर मेरे पति को पता चल गया, तो तुम में से किसी भी खैर नहीं।
वो चारों हंसने लगे और एक बोला- अरे जानेमन, कौन बताएगा, तेरे पति को? हम तो नहीं बताएँगे, तूने बताना हो तो बता देना।
और वो मेरी नाईटी ऊपर खींचते रहे, मेरी नाईटी उतार कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और अपनी टाँगों पर रखे कपड़े भी उन्होंने उतार फेंके और मुझे अपनी बाजू के ज़ोर से उन्होंने सीधा कर दिया, मेरी टाँगें खोल दी।
सतबीर और एक लड़के ने मेरी दोनों बाजू पकड़ी, और दो ने मेरी टाँगें। मुझे पूरी तरह से अपने काबू में करके वो मेरे जिस्म पर अपने हाथ फिराने लगे, मेरे मम्मे दबाने लगे।
मैं बिना वजह उन लोगों को गाली देती रही- हट जाओ कुत्तो, छोड़ दो मुझे हरामजादो। तुम सब जानते नहीं तुम कितना बड़ा अपराध कर रहे हो। मैं तुम्हारी बहन जैसी हूँ, छोड़ दो मुझे भाई, भगवान का वास्ता तुम्हें, जाने दो मुझे।
मगर मेरी बातों की तरफ उनका कोई ध्यान ही नहीं था, वो सिर्फ मेरे गोरे बदन पर अपने हाथ फेर कर मेरे भरे हुये और चिकने बदन को छूने का आनंद ले रहे थे।
फिर एक लड़के ने मेरा एक मम्मा अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, दूसरा मम्मा सतबीर ने मुँह में लिया और चूसने लगा। सतबीर का खड़ा लंड मेरे हाथ को छू रहा था, मेरा दिल हुआ कि उसका लंड पकड़ लूँ, मगर अभी थोड़ा और ड्रामा करना था मुझे।
एक लड़के ने दूसरे से कहा- इसकी दोनों टाँगें पकड़ और खोल कर रख।
उस लड़के ने मेरी टांगें और खोली, मैंने कोई ज़ोर नहीं लगाया, उसे खोलने दी क्योंकि मुझे पता था क्या होने जा रहा था।
उस लड़के ने अपना सर मेरी टाँगों के बीच रखा और मेरी चूत पर चूमा। मुझे बहुत झनझनाहट हुई, मैं काँप सी गई। उस लड़के ने मेरी चूत से अपना मुँह लगाया और धीरे धीरे से मेरी चूत को चाटने लगा।
अब मैं बिल्कुल मजबूर हो चुकी थी, अब विरोध करने का कोई कारण मेरे पास नहीं बचा था। मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया। वो चूत चाटता रहा और मैं बेबस होती गई, मेरी मन की तड़प मेरे बदन पर दिखने लगी।
जब वो अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर घुमाता तो मैं अपनी कमर ऊपर को उठा लेती।
मेरी तड़प देख कर सतबीर ने अपना लंड मेरे मुँह के पास किया और मैंने बड़े आराम से उसे अपने हाथ में पकड़ा और “आ…ह…” वो खूबसूरत काला लंड मेरे होंठों से टकराया और मैंने आगे बढ़ कर उस लंड को अपने होंठों से चूमा और अपने मुँह में ले लिया।
दूसरे लड़के ने भी अपना लंड मेरे मुँह के पास किया, मैंने सतबीर का लंड अपने मुँह से निकाला और और दूसरे लड़के का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
उधर वो दो लड़के मेरी टाँगों के बीच अपने चेहरे डाले, बारी बारी से कभी वो तो कभी वो मेरी चूत चाट रहे थे। दो लंड मेरे मुँह में और दो मुँह मेरी चूत में।
शायद जन्नत में भी ऐसा मज़ा न मिलता हो जो मुझे इस धरती पे मिल रहा था।
फिर उनमें से एक काला सा लड़का जिसे मैं बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी, उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और इस पहले कि मैं उसे रोकती, उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया, जबकि मैं पहले सतबीर का लंड लेना चाहती थी, मगर इसका लंड भी अच्छा था, मोटा था, लंबा था और लड़का भी दमदार था।
वो जो लगा मुझे चोदने … तो हटने का नाम ही न ले।
मैं उनके लंड चूसती रही, वो मेरे मम्मे दबाते और चूसते रहे और मैं अपनी कमर उचका उचका कर मचलती रही।
इसी तरह की चुदाई में मैं सिर्फ 5 मिनट ही खुद कायम रख पाई, 5 मिनट बाद मेरा पहला स्खलन हुआ। मुझे नहीं पता किसका लंड था मेरे मुँह मे, मगर मैंने उसे काट लिया। कितना आनंद, कितना जोश, कितनी तृप्ति थी इस स्खलन में!
मैं झड़ कर बिकल्कुल शांत हो गई।
वो लड़का करीब 20 मिनट मुझे चोदता रहा। मैं उसकी चुदाई से तीन बार झड़ गई। जिसको मैं सबसे बेकार समझ रही थी, घटिया समझ रही थी, वो तो बड़ा ही धांसू निकला। मेरे पति भी आज तक मेरा तीन बार पानी नहीं गिरा पाये। आज तो मैं धन्य हो गई थी। तीन बार झड़ चुकी थी, और अभी तीन मुश्टंडे और बाकी थे। मतलब ये कि अब मेरी जम कर चुदाई होने वाली है।
फिर वो सूकड़ू सा बड़े ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत में अपना लंड पेलने लगा और अगले ही मिनट उसने अपने गर्म माल से मेरी चूत को भर दिया। ऐसा लगा जैसे बहुत देर के किसी प्यासे आदमी को ठंडा ठंडा पानी मिल जाए पीने को।
ऐसा लगा कि जैसे मेरी चूत में अमृत गिर रहा हो। मैं अंदर तन मन से खुश हो गई।
जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला एक दूसरा लड़का आगे आया और उसने घप्प से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मुझे अब कोई दिक्कत नहीं थी, मैं तो अब सिर्फ चुदाई और ढेर सारी चुदाई चाहती थी और वो लड़के भी पूरी तरह से तैयार थे, गर्म मर्दाना माल से भरी अपने लंडों की पिचकारियाँ लिए हुये, जिन्हें वो मेरी प्यासी चूत के अंदर चलाने वाले थे।
दूसरे लड़के ने करीब 10 मिनट मेरी चुदाई की, फिर तीसरा लड़का आया, और वो भी 12-13 मिनट मुझे चोदता रहा। हर एक लड़के में ये होड़ थी कि वो पहले वाले से ज़्यादा मुझे चोदें। अपनी इस ख़्वाहिश के चलते सब के सब मुझे बहुत बेदर्दी से चोद रहे थे, और उनके लिए तो मैं एक रंडी थी, जिस पर वो अपनी मर्दानगी झाड़ रहे थे।
जब वो लड़का भी मेरी चूत को अपने गर्म माल से भरने के बाद नीचे उतरा तो फिर सतबीर आया। उसने पहले मेरी ही नाईटी उठा कर उस से मेरी चूत साफ की और फिर अपनी उंगली पर थोड़ी सी लपेट कर मेरी चूत में अंदर डाल कर मेरी चूत को साफ किया।
“क्या रे मादरचोदो, साली कैसी चूत भर के रख दी, बहनचोद चिप चिप कर रही है सारी!” कह कर सतबीर ने अपना मस्त मोटे टोपे वाला लंड मेरी चूत पर रखा और बड़ी बेदर्दी और ज़ोर से अपने लंड का टोपा मेरी चूत में घुसा दिया।
एक बड़ी ज़ोर से “हाय…” मेरे मुँह से निकली।
सतबीर हंसा और बोला- देखो रे देखो, साली कैसी कुँवारी लड़की की तरह हाय हाय करती है, कुतिया साली।
कह कर सतबीर मेरे दोनों होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगा। मुझे समझ नहीं आया कि सतबीर मुझे प्यार कर रहा है, या कोई गुस्सा निकाल रहा है। मेरे दोनों मम्मे उसने बड़े ज़ोर से अपने हाथों में पकड़ रखे थे, और उन्हें दबा नहीं रहा था, बल्कि मसल रहा था, यह जानते हुये भी कि मुझे उसके मसलने से दर्द हो रहा था।
उसके बाकी तीन साथी बेशक झड़ चुके थे, मगर फिर भी मेरे बदन को सहला कर मज़े ले रहे थे। कभी कोई अपना ढीला लंड मेरे मुँह में डाल देता, कभी कोई, मैं सबके लंड चूस रही थी, बीच बीच में वो सब मेरे होंठ भी चूस लेते।
किसी कोई कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि अभी ये औरत किसी और का लंड चूस रही थी। मेरे मुँह में कभी किसी का लंड, कभी किसी की जीभ, कभी किसी के आँड तो कभी किसी के होंठ होते। कौन मेरे मम्मे चूस रहा था, या दबा रहा था, कौन मेरी कमर पर चिकोटी काट रहा था, कौन मेरी जांघों पर से हाथ भर भर के मेरा मांस नोच रहा था, मुझे कुछ होश नहीं था।
और सतबीर तो अपना लंड कपड़े से सूखा सूखा कर मेरी चूत मार रहा था, शायद उसे मज़ा आता था, जब मैं दर्द से तड़पती थी, छटपटाती थी। मेरे गोरे बदन को नोच नोच कर उन वहशी लड़कों ने लाल कर दिया था।
मगर मैं इसमें भी खुश थी, लगातार एक बहुत लंबी चुदाई का जो मैं सपना देखती थी, वो सपना मेरा पूरा हो रहा था।
फिर सतबीर ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मुझे खींचा- इधर आ माँ की लौड़ी, इधर चोदूँगा तुझे!
और वो मुझे दरवाजे के पास ले गया, वहाँ मुझे घोड़ी बना कर उसने मुझे चोदना शुरू किया। दरवाजे पर पतले से कपड़े का पर्दा लगा था, जिसमें से बाहर तो दिखता था, पर अंदर नहीं दिखता था।
सतबीर ने मेरे सर के बाल पकड़ रखे थे और पीछे से अपना लंड डाल कर मेरी चूत चोद रहा था।
तभी मैंने देखा कि मेरी बेटी स्कूल से वापिस घर आ गई है। वो गेट बंद करके ऊपर अपने कमरे की तरफ सीढ़ियाँ चढ़ कर जा रही थी।
सतबीर बोला- साली कुतिया, वो देखती है न तेरी बेटी जा रही है, उस मस्त माल पर भी मेरी नज़र है, अब तेरे बाद उसकी बारी है, अगली बार उसको हम चारों यार मिल कर चोदेंगे। जैसे आज तुम्हें कुतिया की तरह चोदा है, वैसे ही उसे भी चोदेंगे।
मैंने कहा- नहीं सतबीर, उसको छोड़ दो, तुम्हारे पास मैं आ तो गई हूँ, जो करना है, मेरे साथ कर लो मगर मेरी बेटी को कुछ मत करना!
मैंने सतबीर से विनती की।
सतबीर बोला- तो मेरा माल पिएगी?
मैंने कहा- हाँ पी लूँगी, मगर मेरी बेटी पर नज़र मत डालना।
सतबीर बड़ी बेशर्मी से हंसा और बोला- अरे यार अब नज़र तो पड़ चुकी है, तू चाहे जो मर्ज़ी कर ले, अब तो उसको चोदना ही चोदना है।
मुझे लगा शायद मैंने इन मुश्टंडों के आगे झुक कर गलती ही कर ली। इतने में सतबीर ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे बालों को खींच कर ही मुझे अपनी तरफ घुमाया और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।
मुझे पता लगा गया कि अब ये झड़ने वाला है, और अपना माल मुझे पिलाना चाहता है। मैंने भी पूरे ज़ोर ज़ोर से उसका लंड चूसा और जब वो मेरे मुँह में झड़ा, तो मैंने उसका सारा माल पी लिया।
झड़ने के बाद सतबीर अपने दोस्तों में जा कर बैठ गया और मैं वहीं उसकी दहलीज़ पर नंगी लेटी पड़ी थी, अपना मान सम्मान, अपनी इज्ज़त सब गंवा कर मैं आज एक दो टके की रंडी की तरह गिरी पड़ी थी।
फिर मैं उठी और उठ कर अपनी नाईटी पहनी, और अपने रूम की तरफ चल पड़ी, वो वैसे ही अपनी पार्टी में मस्त हो गए।
जैसे ही मैं अपने कमरे में पहुंची, अपने कपड़े बदलने के लिए मैं स्टोर में गई, अंदर मेरी बेटी अपने स्कूल की ड्रेस बदल रही थी। उस वक़्त वो सिर ब्रा और पेंटी में थी। मैंने उसे देखा, उसका खूबसूरत गोरा जवान जिस्म।
मैंने आज यह जाना कि मेरी बेटी जवान हो चुकी है, जब सतबीर और बाकी सभी को न जाने कब का इस बात का पता चल गया था।
मुझे देखती ही मेरी बेटी बोली- माँ क्या हुआ, ये क्या हालत बना रखी है?
मगर मैंने ‘कुछ नहीं…’ कह कर अपने कपड़े अलमारी से निकाले और बाथरूम में चली गई।
जब शीशे में मैंने खुद को देखा, मैं डर गई, अगर मेरे जिस्म पर इतने निशान मेरे पति देख ले, तो आज ही मुझे तलाक दे दें।
खैर उसके बाद तो ये आम सी बात हो गई, और मैं अक्सर कभी अपनी मर्ज़ी से कभी सतबीर के बुलाने से उसके कमरे में जाने लगी, उसने मुझे अपने बहुत से दोस्तों के साथ मिल बाँट कर भोगा, कई बार तो दूसरी किराये की रंडियों के साथ और सामने भी चोदा।

किरायेदार ने दोस्तों से मिल कर मुझे चोद डाला-1

मेरा नाम सविता ठाकुर है और मैं फिलहाल दिल्ली में रह रही हूँ, पर पीछे हम ग्वालियर से हैं, ग्वालियर और शिवपुरी के बीच हमारा गाँव है, जहां मेरी पति की पुश्तैनी ज़मीन जायेदाद है। अक्सर वो अपनी ज़मीन की देखभाल के लिए गाँव जाते रहते हैं। वैसे तो वहाँ कोई खास फसल नहीं होती, मगर चना और सोयाबीन हो जाता है।
इसके अलावा मेरे पति गाँव के प्रधान भी हैं।
मेरी उम्र इस वक़्त 42 साल है और मेरी एक 23 साल की बेटी भी है जो दिल्ली में पढ़ रही है।
यह बात तब की है जब मेरी बेटी स्कूल में पढ़ती थी और हमारे गाँव में कोई अच्छा स्कूल न होने की वजह से हम लोग ग्वालियर में आकर रहने लगे। यहाँ मेरे पति के एक दोस्त का मकान था, जो बरसों से खाली पड़ा था। घर के बीच में बड़ा सा आँगन और चारों तरफ कमरे।
मैंने गाँव से आकर इस घर को अच्छे से साफ करके सजाया। मगर दिक्कत यह थी कि मुखिया होने के कारण मेरे पति को अक्सर गाँव में ही रहना पड़ता था, जिस वजह से मैं और मेरी बस दो औरतें ही घर में रह जाती थी। मुझे अक्सर डर भी लगता था कि अगर रात बरात कोई आ गया, तो हम दोनों माँ बेटी क्या करेंगी। धन माल तो वो लूटेंगे ही, हम माँ बेटी को भी कहाँ छोड़ेंगे, बल्कि हमें तो पहले लूटेंगे।
मैंने बहुत बार अपने पति से कहा भी कि रात को सही समय पर घर आ जाया करो!
मगर कहाँ … उनके पिछवाड़े में तो प्रधानगी घुसी हुई थी, वो या तो लेट आते और कभी कभी तो आते ही नहीं, वहीं अपने गाँव वाले घर में ही रुक जाते।
मुझे समस्या यह आने लगी कि एक तो अपने और अपनी बेटी के लिए डर लगता, और दूसरी बात … शादीशुदा होकर रात को अकेले सोना किसे अच्छा लगता है। मैं रातों को तड़पती, आधी आधी रात को उठ कर नहाने जाती, मगर जो आग जिस्म के अंदर लगी हो वो बाहर से पानी डालने से कैसे बुझती।
फिर एक दिन हमारे एक जानकार हमारे घर आए, उनके साथ एक नौजवान लड़का भी था, 25-26 साल का होगा।
उन्होंने कहा- ये सतबीर है, हमारी पहचान का है, बहुत ही सीधा और शरीफ लड़का है, यहाँ पर ही एक फैक्टरी में काम करता है, इसके रहने का कोई इंतजाम नहीं है, बेचारा कितने दिनों से रेलवे स्टेशन पर सो रहा है।
मैंने प्रधानजी (मेरे पति) से बात करी तो वो बोले- हमारे घर में ही बहुत से कमरे खाली पड़े हैं, एक इसे दे देते हैं, और घर की रखवाली भी हो जाएगी।
अब जब पति ने ही इजाज़त दे दी हो तो मैं कैसे मना कर सकती थी। जबकि मैं नहीं चाहती थी कि कोई गैर मर्द हमारे घर आ कर रहे, मेरी बेटी भी जवान हो रही थी, देखने में वो पूरी जवान लगती थी, चाहे आज शादी कर दो।
अब क्योंकि मैं भी बदन से भरी हूँ, और मेरे पति भी खूब लंबे चौड़े हैं, तो बच्चों पर भी माँ बाप का असर पड़ता है, इसलिए मेरी कमसिन बेटी 20-22 की जवान लड़की को मात देती थी।
मैं अपनी बात करूँ तो मेरे बदन पर भी जवानी टूट कर आई थी। 40 साइज़ की तो मेरे ब्रा आती है, और फिर नीचे बड़ा सा पेट, और उसके नीचे खूब बड़े बड़े चूतड़, 42 कमर, मोटी जांघें। बिस्तर पर नंगी हो कर लेटती हूँ तो पति कहते हैं कि पूरा बिस्तर भर देती हूँ। गोरा रंग और खूबसूरत चेहरा, किसी का भी दिल ललचा दे, ईमान डुला दे।
सतबीर ने भी बैठे बैठे कई बार मुझे नज़र भर के देखा। मगर वो पतला दुबला सा नौजवान, मुझे लगा कि ये क्या कर सकता है, इसे तो मैं अकेली ही दबा लूँ। मैंने उसे कह दिया कि अपना सामान ले आए।
अगले दिन वो भी अपना समान ले आया और मेरे पति भी आए, मैंने अपने पति से भी गिला किया कि आपने मुझसे पूछे बिना मकान किराए पर दे दिया, और वो भी एक नौजवान लड़के को, अपने घर में भी जवान लड़की है।
मगर पति ने मुझसे कहा- अरे ये भी अपना ही बच्चा है, बल्कि अपनी पहचान का कोई हो तो घर की रखवाली भी रहेगी, मैं तो अब प्रधानगी के काम से अक्सर बाहर ही रहता हूँ, तो घर में कोई मर्द भी तो होना चाहिए।
और मेरी बात बीच में ही रह गई क्योंकि पतिदेव 3-4 दिन बाद घर आए थे, और बस उन्होंने मुझे बेड पे धक्का दे दिया। मैं भी 3-4 दिन से उनके इंतज़ार में चुदासी हुई पड़ी थी, तो मैंने भी झट पट अपने कपड़े उतारे और उनका लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर उन्होंने मुझे जम कर पेला, मेरी प्यासी आत्मा को तृप्त कर दिया। उस रात हमने दो बार सेक्स किया, वो दो बार झड़े, मैं तो 3-4 बार झड़ी।
खैर सतबीर से मुझे कोई खास दिक्कत नहीं थी, वो दिन में तो बाहर ही रहता, कभी कभार उस से बात होती थी।
लड़का था तो शरीफ, मगर अक्सर वो मुझे और मेरी बेटी को घूरता था, मैं देख रही थी कि उसकी आँखों में मेरे और मेरी बेटी दोनों के लिए एक जैसे हवस थी कि जो भी पट जाए, उसको चोद डालूँ, मगर उसके हल्के बदन को देख कर मेरी चूत कभी खड़ी नहीं हुई।
अब आप कहोगे कि ये क्या बात हुई, चूत भी कभी खड़ी होती है, खड़ा तो लंड होता है।
आपको बता दूँ कि जब मैं पूरी गर्म होती हूँ, तब मेरी चूत की भगनासा, वो जो चूत के बीच में जो आगे को बाहर निकला हुआ मांस होता है न, वो सख्त हो जाता है, और आगे को उभर आता है। मेरे पति ही कहते हैं, मेरा लंड खड़ा हो गया और तेरी चूत खड़ी हो गई। मेरे पति अक्सर इस खड़ी हुई चूत को अपने मुँह में लेकर चूसते हैं जैसे मैं उनके लंड की अपने मुँह से चुदाई करती हूँ, वैसे ही वो मेरी चूत की इस भागनासा को अपने मुँह में लेकर आगे पीछे करते हैं; और सच जानिए इसी से मेरा स्खलन सबसे जल्दी होता है।
अब आगे चलते हैं।
सतबीर को हमारे घर में किराये पर रहते एक महीने से ऊपर हो गया था, सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था।
एक रात मैं पेशाब करने उठी, और जब पेशाब करके अपने कमरे की ओर जा रही थी, तब मुझे सतबीर के कमरे में से रोशनी और आवाज़ सुनाई दी। मुझे लगा कि शायद फोन पे अपने गाँव बात कर रहा होगा, मगर जब एक लड़की के हंसने की आवाज आई तो मैं चौंक पड़ी।
ये क्या … क्या सतबीर कोई लड़की लाया है अपने कमरे में?
मैं चुपके से उसके कमरे के पास गई और खिड़की से अंदर देखने की कोशिश की, अंदर का नज़ारा तो बहुत ही गर्म था, सतबीर अपने बिस्तर पर बिल्कुल नंगा बैठा था, और एक नंगी लड़की उकड़ूँ हुई उसका लंड चूस रही थी।
सतबीर के पतले दुबले जिस्म के मुक़ाबले उसका लंड बहुत ही ज़बरदस्त था, मोटा भी और लंबा भी। वो पहली बार था जब मुझे सतबीर का लंड देख कर उसे छूने की चाहत हुई। मैं वहाँ खड़ी देखती रही.
पहले तो उस लड़की ने सतबीर का लंड चूसा और फिर उस पर कोंडोम चढ़ाया, फिर जब सतबीर ने अपना लंड उस लड़की की चूत में डाला तो बोला- आह मेरी जान सविता, ले अपने यार का लंड अपनी चूत में ले, चुद साली, खोल चूत अपनी और अपने यार का लंड खा जा हरामज़ादी, साली कुतिया, पूरा लंड ले अपनी चूत में … ले ले साली ले, और ले, और ले!
वो बोलता जा रहा था और इधर मेरी चूत में पानी आने लगा।
सच कहूँ तो मुँह में भी और चूत में भी दोनों जगह पानी पानी हो गया। मैं सोचने लगी अगर ये सतबीर मुझे चोदे तो क्या ऐसे ही ताबड़तोड़ चोदेगा। मैं तो जैसे वहीं जम गई, मेरा एक हाथ मेरे मम्मे पे और दूसरा हाथ मेरी नाईटी ऊपर उठा कर मेरी चूत पे जा पहुंचा.
मैं उसे देखते रही उस रंडी को चोदते हुए और अपनी चूत को भी सहलाती रही।
मगर तभी मुझे आस पास का भी ख्याल आया, अगर मेरी बेटी उठ कर आ गई तो?
बस मैं वहीं से वापिस मुड़ आई और अपने कमरे में आकर लेट गई। दूसरे बिस्तर पर मेरी बेटी सो रही थी, मगर मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी। मैं बेचैन थी, कभी इधर करवट, कभी उधर करवट।
फिर मैंने अपनी टांगें ऊपर उठाई तो मेरी नाईटी नीचे गिर गई। मेरी भरपूर मोटी, गदराई हुई टाँगें देख कर मैं सोचने लगी कि जितना मांस मेरी एक टांग पर है, उतना तो सतबीर के सारे बदन पर भी नहीं होगा शायद। पर अगर वो इस वक्त मेरी इन दोनों टाँगों के बीच में आकर खड़ा हो जाए और अपना लंड मेरी चूत में पेल दे, तो क्या मैं उसे रोक पाऊँगी।
नहीं, मैं नहीं रोकूँगी उसे … बल्कि अपनी टाँगें खोल दूँगी, और मैंने अपनी टांगें फैला दी।
“आ रे मेरे प्यारे सतबीर आ और अपनी मालकिन को चोद दे, पेल इस प्यासी औरत को!” सोचते हुये मैंने फिर से अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाया, चिकनी, बाल रहित चूत, अंदर से गीली, किसी मर्दाना लंड की राह में आँखें बिछाए।
और मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी, पर नहीं यार मज़ा नहीं आ रहा था, उंगली तो बहुत पतली है और सतबीर का लंड, वाह क्या लंड है। मुझे चाहिए, मुझे सतबीर का ही लंड चाहिए।
और मैं फिर से उठी और सतबीर के कमरे की तरफ चुपके से गई, मैंने देखा अंदर दोनों नंगे लेटे थे, शायद एक बार वो कर चुके थे। मैं कुछ देर उन दोनों को देखती रही। सतबीर का ढीला लंड लटक रहा था। वो शायद सो चुका था, वो रंडी अपने मोबाइल पे लगी थी।
अगली सुबह से मेरा सतबीर को देखने का नज़रिया और नीयत दोनों बदल चुके थे। वो जब भी मिलता था तो नमस्ते ज़रूर करता था। मगर अब मैं हमेशा उस पर नज़र रखती थी।
एक रात मैंने देखा वो और उसके तीन और दोस्त, दो रंडिया लेकर आये और सब के सब नंगे, कोई किसी को चूम रहा है, चूस रहा है, चोद रहा है। बस पता ही नहीं चल रहा कि क्या हो रहा था।
मैंने उस दिन वहीं खड़े रह कर सब देखा और तब तक अपनी चूत सहलाई, जब तक मेरा पानी नहीं छूट गया। मगर उसके बाद भी मुझे चैन नहीं पड़ा। उंगली से वो तसल्ली नहीं मिलती तो किसी मर्द के लंड से मिलती है।
अब तो मैं ये सोचने लगी थी कि किसी दिन सतबीर मुझे ही पकड़ ले, सच में एक बार भी मना नहीं करूँगी, पहली बार में ही उसे चोद लेने दूँगी। मगर सतबीर पकड़े तब न!
दिन बीतते गए, और सतबीर और शेर बनता गया, अब तो वो इतवार को छुट्टी के दिन घर में ही दिन दिहाड़े अपनी करतूत दिखाने लगा।
दिन में ही घर में रंडियाँ आती, टीवी पर ब्लू फिल्में चलती, मांस मच्छी पकाते, शराब और शवाब के दौर चलते।
हम लोग पूरे शाकाहारी और वो पूरी तरह से मांसाहारी … हर तरह का मांस खा जाने वाले, चाहे कच्चा मांस हो या पक्का मांस। भेड़, बकरी, मुर्गा, मच्छी, औरत जवान, सबको चबा डालने वाले। उसके दोस्त भी बड़े बदतमीज़ थे, जब भी मौका मिलता मुझे घूरते, मेरी बच्ची को घूरते। अपना तो मैं बर्दाश्त कर लेती क्योंकि मेरी अपनी नीयत साफ नहीं थी, मगर अपनी बेटी को घूरते देख मुझे बड़ी आग लगती। बेशक मेरे लिए वो मेरी बच्ची थी, मगर उनके लिए तो सिर्फ एक जिस्म थी, जिसकी कच्ची जवानी को वो वहशी नोच जाना चाहते थे।
इस लिए मैंने सोचा कि इससे पहले के इन हरमियों के हाथ मेरी बच्ची के दामन तक पहुंचे या तो मैं इन्हें इस घर से ही निकाल दूँ, या फिर अपने आपको उनके आगे पेश कर दूँ। मगर ऐसा कोई भी मौका नहीं बन रहा था कि मैं उनके आगे बेशर्म हो जाऊँ।
एक दो बार ऐसा हुआ कि जब सतबीर अपने कमरे में रंडी हो चोद रहा था, तो मैंने जानबूझ कर बाहर कोई आवाज़ की, ताकि वो बाहर निकल कर देखे, मगर फिर मेरी उससे कोई सेटिंग नहीं हो रही थी।
मैं देखती थी अक्सर उसे। नौजवान था, तो हफ्ते में एक दो बार तो वो अपने कमरे में रंडी लाता ही था।
बहुत दिन निकल गए मगर मेरी चूत की आग ठंडी नहीं हो रही थी।
फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी सारी उम्मीदें ख्वाहिशें पूरी हो गई। उस दिन 8 तारीख थी, इतवार का दिन था और सतबीर ने अभी तक कमरे का किराया नहीं दिया था।
दोपहर हो चली थी, मैंने सोचा कि आज इतवार है, सतबीर घर पर ही होगा, तो उससे कहती हूँ कि भाई मकान का किराया तो दो।
मेरी बेटी अपनी सहेली के घर पढ़ने गई हुई थी क्योंकि उस दिन मैं घर के काम काज में बहुत व्यस्त रही थी, तो नहाई भी नहीं नहीं थी और रात वाली नाईटी ही पहनी हुई थी। थोड़ा फ्री हुई तो सोचा कि उसके रूम में जा कर कह आती हूँ।
जाकर देखा तो रूम का दरवाजा पूरा खुला था। मैं जैसे ही अंदर घुसी तो अंदर का माहौल देख कर सन्न रह गई। अंदर सतबीर के साथ उसके वही तीन बदमाश दोस्त बैठे थे। सब के हाथों में गिलास, बीच में रखा हुआ खाने पीने का मीट मच्छी।
टीवी पर चलती ब्लू फिल्म और चारों के चारों हरामज़ादे नंगे बैठे, सबने बड़े बड़े अपने लंड खड़े कर रखे थे। एक बार तो लगा जैसे मैं जन्नत में आ गई हूँ, मेरे मन की मुराद पूरी हो गई, मगर इस तरह तो मैं नहीं करना चाहती थी।